“इस भूख हड़ताल से कुछ नहीं बदलने वाला”
“ये तो हर दुसरे महीने अनसन पे बैठ जाते हैं”
“मुझे तो लगता है की ये राष्ट्रपति बनने के चक्कर में है”
“इनका कोई परिवार तो है नहीं इसी लिए ये सब नाटक कर पाते है”
ऐसी तमाम तरह की टिप्पणियां आपने या तो की होंगी या सुनी होंगी अपने मित्रो से या मेट्रो में सफ़र करते हुए! इस में कोई दो राय नहीं की आज के इस दौर में जहाँ भौतिकतावाद सब पे हावी हो चूका है या असर दिखाने लगा है, किसी को अपने या अपने से सम्बंधित मसलो से ऊपर उठकर सोचने का वक़्त नहीं मिलता! अलबत्ता अपने मसलो के लिए ही वक़्त कम पड़ता है! किसके पास टाइम है की सोचे की अन्ना कौन हैं, क्या हैं, क्या कर रहे हैं, क्यों कर रहें हैं! इसलिए सबसे आसान है की कोई ऐसी वैसी टिपण्णी करो उनपे और आगे चल पडो! कुछ लोग तो ये भी कहने से नहीं कतराते की हमारे पास ऐसे फालतू बातो के बारे में सोचने का वक़्त नहीं है, जितनी देर में मै अन्ना वन्ना के बारे में सोचूंगा उतने में कोई “इम्पोर्टेंट” कम कर लूँगा! पर एक बात सबमे कॉमन है, कोई उनका बुरा नहीं चाहता और सबके अंतर्मन में एक जगह है अन्ना के लिए! क्यों?
पर क्या कभी आपने ये ध्यान से सोचा है की ये अन्ना क्या है? अन्ना कौन है?
मनुष्य स्वभाव से ही विद्रोही और नमक हलाल होता है! उसका अंतर्मन चाहता है की वो चीखे, चिल्लाये, शोर मचाये, अगर कुछ गलत हो रहा हो उसके आसपास! परन्तु किसी न किसी कारण से वो ऐसा नहीं कर पाता, पर उसे इस बात का अपराधबोध होता है, वो सही मौके के तलाश में रहता है पर इसमें उसकी पूरी उम्र निकल जाती है!
इसमें तो कोई दो राय नहीं की हमारे आसपास भी कुछ गलत हो रहा है, कुछ क्या बहुत कुछ गलत हो रहा है! हम सब चीखना, चिल्लाना, शोर मचाना चाह रहे हैं, पर आवाज़ किसी की भी बाहर नहीं आ रही! कोई अपने ड्राविंग रूम में चिल्लाता है तो कोई अपने परिजनों के साथ बैठ कर चिल्लाता है, कोई लंच करते हुए चिल्लाता है तो कोई सर्वशक्तिमान फेसबुक पे चिल्लाता है! पर चिल्लाते समय वो एक बात पक्की कर लेना चाहता है की इससे उसका कोई नुकसान न हो और कोई एक्स्ट्रा वक़्त न लगे उसका ऐसा करते हुए !
तभी उसे याद आता है की एक अन्ना नाम का बुढ़ा चिल्लाये जा रहा है, निरन्तर चिल्लाये जा रहा है! और उसे ये परवाह भी नहीं है की उसका कोई नुकसान होगा और ना ही वो अपने वक़्त की परवाह कर रहा है! पर एक मिनट, ये तो उन्ही बातों के लिए चिल्ला रहा है जिसके लिए या तो मै छुप के चिल्ला रहा था या चिल्लाना चाह रहा था! परन्तु ये मेरी परेशानियो के लिए क्यों चिल्ला रहा है, ये तो मुझे जानता भी नहीं, कभी मिला भी नहीं! इसे क्या पड़ी है, मेरी परेशानियो के लिए चिल्लाने की!
यार ये तो मेरा ही काम कर रहा है और मेरा वक़्त भी जाया नहीं हो रहा है! कौन है ये, कही ये मै तो नहीं हूँ, अगर ये पूरा मै नहीं हूँ तो कही ना कहीं थोडा तो हूँ मै इसमें!
मानो या ना मानो सच्चाई यही है की अन्ना मैं ही हूँ, तुम भी तो हो अन्ना! पर अन्ना वो सारे काम कर रहा है जिसे मैं और तुम करना चाहते है पर कर नहीं पाते!
सोचो!